चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

Monday, July 14, 2008

बहन

पहले मेरी बहिन को एक घंटा लगता था
साड़ी पहननें में
पहननें के बाद भी
ठीक होती ही रहती थी जब तक
कितना चिढ़ती थी
मेरे चिढ़ाने पर और
प्रसन्न होते थे घर वाले यह देख कर
मगर फिर आधा घंटा
पन्द्रह मिनट
अंततः झटपट
अब भी मैं चिढ़ाता हूँ
पर अब नही चिढ़ती वह
वरंच हंसती है
सूखे होठों पर जबरन
ओढ़ी गई हँसी
फंस जाती है मेरे भीतर तक

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