सेल्समेन
घास के विराट मैदानों की तरह
फैली सर्द रात के सन्नाटे
को चीरती है
- जैसे लकडहारे चीरतें हैं लकड़ी
-उसकी माँ की चीख
और हम सब बड़ जातें हैं
पोस्ट - मार्टम कक्ष मैं
मेरे सामने ही होता है शव विच्छेदन
और निकलती है उसमें से
-ढेरों मन गालियाँ
-दुस्तर लक्ष्य
-अंतहीन दबाव
-असंखय गुटकों के पाउच
-"कुत्तों से सावधान ""सेल्समेन आर नोट एलाऊड की पट्टियाँ"
तिरस्कार से बंद होते दरवाजों की आवाज
और ..........................और...............................और
एक कोने मैं दबे कुचले सहमे माँ के कुछ सपने ;
"आखिरी बार कब हंसा था ?
"मरने से कुछ देर ही पहले "
गीली रात ढलती है
भौर उमग रही है
रोशनियाँ पीली पड़ने लगती हैं
Tuesday, August 25, 2009
लम्बोदर
लम्बोदर
गिरती महीन जलराशि - मध्य
उस लम्बमान ताल उपात से सटे
संकुल वृक्षों की लसस डालियों
के पत्र्पुन्ज से आवृत स्थल पर
कार स्कूटर ट्रक ट्रालियों मैं
विराजित - विसर्जन के लिए
बाट जोहते लम्बोदर असंख्य - जनों के संग
अकस्मात
चीरकर
वह पगलाई स्त्री
ताल की अथाह गहराई मे चलते चलते
डूब गई उसके कांधे पर उसका
लम्बोदर था जो
भूख से तड़पकर
उसी दिन अंकोर मे सर रख कर
मरा था
गिरती महीन जलराशि - मध्य
उस लम्बमान ताल उपात से सटे
संकुल वृक्षों की लसस डालियों
के पत्र्पुन्ज से आवृत स्थल पर
कार स्कूटर ट्रक ट्रालियों मैं
विराजित - विसर्जन के लिए
बाट जोहते लम्बोदर असंख्य - जनों के संग
अकस्मात
चीरकर
वह पगलाई स्त्री
ताल की अथाह गहराई मे चलते चलते
डूब गई उसके कांधे पर उसका
लम्बोदर था जो
भूख से तड़पकर
उसी दिन अंकोर मे सर रख कर
मरा था
राजा बुश
राजा बुश
हतप्रभ है वह
पश्चाताप -हीन व्यवस्थित अपराधी
रजा बुश कि
कैसे चल सकता है मुकदमा उन पर
क्या राज प्रसाद से पाई गई
एक मुर्गी के पर चबी हड्डियाँ और खून के छींटें से
मुकदमा बनता है ?
फ़िर भी राजा बुश पर चला-
--मुर्गी को क्या आपने काटा था राजा बुश
नहीं मरोड़ा था बेरहमी से-
--क्या आपने पर नोचने के लिए गरम पानी किया था ?
नहीं मैंने चुनचुन कर एक एक पर खींचा था
जब वह जिंदा थी-
--क्या किया फ़िर
शोरबा निकाला उसका -
--फ़िर पिया
फ़िर..............फ़िर..................
।उसकी हड्डियों को चबाया
--फ़िर क्या आपने पुट्ठों पर हाथ झाड़ कर चल दिए
नहीं कतई नहीं मैंने पुट्ठों पर हाथ नहीं झाडे
मैं एक कोने मैं बैठ गया
मेरे जेहन मैं मुर्गी थी
मैं खूब देर तक रोया ; उसकी मौत पर
फ़िर मैंने एक कविता लिखी
आसुओं मैं डूबी ,
--आपने कविता लिखी राजा बुश
हाँ (स्वर भर्राया था )
आप बरी किए गए राजा बुश
हतप्रभ है वह
पश्चाताप -हीन व्यवस्थित अपराधी
रजा बुश कि
कैसे चल सकता है मुकदमा उन पर
क्या राज प्रसाद से पाई गई
एक मुर्गी के पर चबी हड्डियाँ और खून के छींटें से
मुकदमा बनता है ?
फ़िर भी राजा बुश पर चला-
--मुर्गी को क्या आपने काटा था राजा बुश
नहीं मरोड़ा था बेरहमी से-
--क्या आपने पर नोचने के लिए गरम पानी किया था ?
नहीं मैंने चुनचुन कर एक एक पर खींचा था
जब वह जिंदा थी-
--क्या किया फ़िर
शोरबा निकाला उसका -
--फ़िर पिया
फ़िर..............फ़िर..................
।उसकी हड्डियों को चबाया
--फ़िर क्या आपने पुट्ठों पर हाथ झाड़ कर चल दिए
नहीं कतई नहीं मैंने पुट्ठों पर हाथ नहीं झाडे
मैं एक कोने मैं बैठ गया
मेरे जेहन मैं मुर्गी थी
मैं खूब देर तक रोया ; उसकी मौत पर
फ़िर मैंने एक कविता लिखी
आसुओं मैं डूबी ,
--आपने कविता लिखी राजा बुश
हाँ (स्वर भर्राया था )
आप बरी किए गए राजा बुश
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