मेरे होने का जिसने मतलब दिया था
मेरा हर ग़म अपना समझ पिया था
जिसने आँखों की घुलती हुई रोशनी को
लबों से चूमा था हथेली में लिया था
जो हरदम धड़कता था सीने में मेरे
जो चमचम चमकता था माथे पे मेरे
जो हँसता था तो कलियाँ खिलती थी दिल की
पल में मिलती राहें मुश्किल मंज़िल थी
जो औरो से था कुछ अलग मेरे दिल में
जो था मेरे संग-संग हर एक मुश्किल में
जिसने थामा था मुझको बाँहों में बाँहे डाले
जो आया था अंधेरे बनके उजाले
मेरा हमदम वो मेरा हमनशीं आ रहा है
मेरे मौला मेरा दिल घबरा रहा है
मेरे मौला मेरा दिल घबरा रहा है
-देवेन्द्र
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chalo intzaar khatam hua :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति.....
ReplyDeleteमेरे होने का जिसने मतलब दिया था
ReplyDeleteमेरा हर ग़म अपना समझ पिया था
bahut khoob kahaa...........
मेरे होने का जिसने मतलब दिया था !!
ReplyDeleteये बहुत बड़ी बात है !क्योंकि वही तो अपना है !लिखते रहिये ! हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं !
बहुत अच्छा :कभी समय मिले तो हम्रारे ब्लॉग //shiva12877.blogspot.com पर भी आयें /
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
मेरे होने का जिसने मतलब दिया था
ReplyDeleteमेरा हर ग़म अपना समझ पिया था
सुन्दर रचना
बढ़िया लिखा है
आभार
ज़िन्दगी तेरी मैं तफ़सीर करूँ भी कैसे?
ReplyDeleteपढ़ ही पायी हूँ कहाँ मै तेरे फरमान बहुत?
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
Aisa hamnasheen har kisee ko naseeb ho!
ReplyDeleteSuperb lines and i love this write up...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सार्थक रचना , बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .