वास्तव में ही अत्यंत चिंताजनक विषय है.
आपदा ग्रस्त स्त्री की हालत, और लोलुप, अय्याश समाज का बेहद संजीदा, विस्तृत चित्रण किया है आपने
"वैवर्त-सा घूमता हूं अपनी ही धूरी में" बहुत गहरा चिंतन है।शब्द शिल्प उत्तम है। होली की शुभकामनाएं!
वाकई......पहले ज़ुल्म फिर उपहास..उफ़...!!!!
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वास्तव में ही अत्यंत चिंताजनक विषय है.
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ReplyDelete"वैवर्त-सा घूमता हूं अपनी ही धूरी में"
ReplyDeleteबहुत गहरा चिंतन है।शब्द शिल्प उत्तम है। होली की शुभकामनाएं!
वाकई......पहले ज़ुल्म फिर उपहास..उफ़...!!!!
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