अरे वाह! कल न्यू मार्केट में घुमाया आज रेडक्रास पंहुचा दिया. सिक्के का दूसरा पहलू..कितने परेशान हाल लोगों की भीड़ है यहाँ! ..बहुत अच्छा चित्र उकेरा है आपने.
भाई क्या खूब रेखांकन है आपका.बोलती तस्वीरें.अपने एक ब्लॉग हमज़बाँ में कार्टून कोना के अंतर्गत अभी ही आपका भी लिंक दे रहा हूँ.आप साझा-सरोकार पर आये. आभार !
मैं आपके चित्रों से पहली बार परिचित हुआ, एक चित्र ढूंढता रहा ब्लॉग में जो "अपरिचित" और "बेनामी" हो...
वो माँ ने रोटी बनाई...और उसका नाम रखना भूल गई...अच्छा है नाम नहीं रखा...बिना नाम की रोटी...बहुत स्वादिष्ट होती है....
आप लेख से भी सम्बद्ध हैं....कला के बहुत आयाम हैं...मगर चित्रों के अन्दर जो रहस्मय अमूर्त्यता झांकती है....मैं उसकी तलाश में हूँ...आपके चित्र देखता रहूँगा...हाँ चित्रों से एक महत्त्व मालूम हुआ कि "कलाकार" क्या देखते हैं..खासकर चित्रकार..अब जाकर न्यू मार्केट अच्छे से देखूंगा।
अरे वाह! कल न्यू मार्केट में घुमाया आज रेडक्रास पंहुचा दिया.
ReplyDeleteसिक्के का दूसरा पहलू..कितने परेशान हाल लोगों की भीड़ है यहाँ!
..बहुत अच्छा चित्र उकेरा है आपने.
भाई क्या खूब रेखांकन है आपका.बोलती तस्वीरें.अपने एक ब्लॉग हमज़बाँ में कार्टून कोना के अंतर्गत अभी ही आपका भी लिंक दे रहा हूँ.आप साझा-सरोकार पर आये.
ReplyDeleteआभार !
बहुत ही उम्दा चित्र है! चित्र के माध्यम से सब कुछ सामने आ गया ! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती!
ReplyDeletekya zaroorat hai.....lambi post likhne ki chitra banao..aur sab kah jaao...lekin sab mein ye art kahan :-)
ReplyDeleteमैं आपके चित्रों से पहली बार परिचित हुआ, एक चित्र ढूंढता रहा ब्लॉग में जो "अपरिचित" और "बेनामी" हो...
ReplyDeleteवो माँ ने रोटी बनाई...और उसका नाम रखना भूल गई...अच्छा है नाम नहीं रखा...बिना नाम की रोटी...बहुत स्वादिष्ट होती है....
आप लेख से भी सम्बद्ध हैं....कला के बहुत आयाम हैं...मगर चित्रों के अन्दर जो रहस्मय अमूर्त्यता झांकती है....मैं उसकी तलाश में हूँ...आपके चित्र देखता रहूँगा...हाँ चित्रों से एक महत्त्व मालूम हुआ कि "कलाकार" क्या देखते हैं..खासकर चित्रकार..अब जाकर न्यू मार्केट अच्छे से देखूंगा।
बहुत खूबसूरत...
"निशांत कौशिक"
Gazab kee detailing hai! Wah!
ReplyDeletesab kuchh chitra k madhyam se bayan kiya hai..
ReplyDeleteaajkal har jagah bas 1 hi cheez dekhne ko mil rahi hai or wo hai bheed..
मान गए। आपकी पारखी नज़र को
ReplyDeleteतस्वीर बोलती है । बहुत खूब धन्यवाद्
ReplyDeleteतस्वीर बोलती है । बहुत खूब धन्यवाद्
ReplyDeletebahut sundar !
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